
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सरकार फूड और ड्रग सेफ्टी को लेकर बड़ा कदम उठा रही है। वाराणसी, कानपुर, मिर्जापुर, बरेली और अलीगढ़ में अत्याधुनिक माइक्रोबायलॉजी लैब्स स्थापित की जा रही हैं, जिससे अब फलों, दुग्ध उत्पादों, औषधियों और मसालों की वैज्ञानिक जांच स्थानीय स्तर पर ही संभव होगी।
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वाराणसी लैब तैयार, 31 मई से होगा संचालन शुरू
वाराणसी की लैब पूरी तरह बनकर तैयार है और इसका संचालन 31 मई से शुरू हो जाएगा। यह पूर्वांचल में खाद्य व औषधि परीक्षण की दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी। वहीं अन्य चार जिलों की लैब्स का निर्माण मार्च 2026 तक पूरा होने का लक्ष्य है।
FSSAI ने स्वीकृत किया बजट, टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने सभी प्रस्तावित लैब्स के लिए बजट स्वीकृत कर दिया है और टेंडर प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। इससे सरकार की “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” नीति को बल मिलेगा।
अब जांच के लिए नहीं भागना पड़ेगा बड़े शहरों की ओर
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अनुसार, इन प्रयोगशालाओं में बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और माइक्रोटॉक्सिन्स जैसी सूक्ष्म जांच स्थानीय स्तर पर ही की जा सकेगी। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि नकली खाद्य व औषधि उत्पादों पर भी प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा।
लैब्स की रिपोर्ट होगी कानूनी रूप से मान्य
इन लैब्स से प्राप्त जांच रिपोर्ट को कानूनी वैधता प्राप्त होगी, जिससे उपभोक्ताओं की शिकायतों पर तुरंत और प्रभावी कार्रवाई हो सकेगी। इससे शासन और आमजन के बीच विश्वास भी मजबूत होगा।
फूड सेफ्टी में बनेगा राष्ट्रीय मॉडल
सीएम योगी का विजन है कि हर मण्डल में फूड और ड्रग टेस्टिंग लैब हो। इससे उत्तर प्रदेश देश में फूड सेफ्टी और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का रोल मॉडल बनकर उभरेगा।
यह पहल जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में न केवल बड़ी क्रांति है, बल्कि उत्तर प्रदेश की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता को भी एक नई उड़ान देने वाली साबित होगी।
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